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  • कविता

    सिर्फ प्रेम का इज़हार नहीं, सिर्फ वसंत की फुहार नहीं,सिर्फ वर्षा का झंकार नहीं, सिर्फ अलंकारों का अंबार नही। यह एकांत का उपहार भी है, यह उम्र का उधार भी है,सन्नाटे का संहार भी है, शब्दों का व्यापार भी है। एक व्याकुल पुकार, सिहरता अंगार भी है,भाव, आवेग, आवेशों को द्वारआंसुओं का आकार, अंतरद्वंद की…